राजनीति की नई संस्कृति

दिल्ली में आप की सरकार अस्तित्व में आ रही है। यह भारतीय राजनीति में नई संस्कृति की शुरुआत होगी। जब इस देश में राजनीतिक दल भ्रष्टाचार से पोषित राजनीति को कड़वी हकीकत मान चुके थे आप ने दिखा दिया है कि ईमानदारी से इकट्ठा किए गए चंदे से चुनाव लड़ा भी जा सकता है और जीता भी। यही अपने आप में स्थापित दलों को झकझोरने के लिए काफी है। भ्रष्टाचारियों और अपराधियों में साठ-गांठ के कारण राजनीति पर अपराधियों का दबदबा कायम हो चुका है। आप ने एक ऐसा तंत्र विकसित किया, जिसमें भ्रष्टाचार की गुंजाइश ही खत्म हो जाती है। अभी तक चुनाव लड़ने और सरकार के गठन के लिए तैयार होने तक में आप ने अनेक अभिनव किए हैं। ईमानदार उम्मीदवारों का चुनाव, चुनाव लड़ने के लिए वित्ता प्रबंधन, सरकार बनाने से पहले जनता से रायशुमारी, क्षेत्रवार घोषणापत्र जारी करना आदि अनेक मुद्दों से स्पष्ट हो जाता है कि आम आदमी पार्टी ईमानदार राजनीति पर चल रही है। आप की चयन प्रक्रिया भी ऐसी है कि इसमें कोई अपराधी टिकेगा ही नहीं। अत: एक ही झटके में राजनीति को अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के चंगुल से मुक्त कराने के असंभव से दिखने वाले काम को आप ने आसानी से करके दिखा दिया है।
अब आप सरकार में आने के बाद स्थापित राजनीतिक संस्कृति को बदलने की तैयारी में है। आप के मंत्री लालबत्ताी वाली गाड़ियों, सुरक्षा, बंगले आदि सत्ता के प्रतीक चिन्हों से दूर रहेंगे। इससे न सिर्फ नेता व जनता के बीच की दूरी कम होगी, बल्कि बहुत सा अनावश्यक खर्च भी बचेगा। जन प्रतिनिधि सही अथरें में जनता का प्रतिनिधित्व करेंगे। जब नेता अपनी सुविधाओं को कम कर देंगे तभी तो वे नौकरशाहों से भी उनकी सुविधाओं को कम करने के लिए कह सकते हैं। यदि आप के नेता ईमानदारी से काम करते हैं तो विभिन्न विभागों में होने वाले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना आसान हो जाएगा। अभी भ्रष्ट नेता के नाम पर छोटे कर्मचारी भी भ्रष्टाचार करते हैं, किंतु जब नेता घूस व कमीशन लेना बंद कर देंगे तो भ्रष्टाचार पर नीचे तक अंकुश लगेगा। इससे सबसे ज्यादा दिक्कत होगी नौकरशाहों को, जो सबसे च्यादा सुविधाओं का उपभोग करने के आदी हो गए हैं। उनके लिए गलत पैसा लेना बंद करना कष्टदायक होगा। पहली बार भारत में यह संभावना बनती दिख रही है कि विभिन्न सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार खत्म किया जा सकता है, दलाल संस्कृति से मुक्ति मिल सकती है, प्रशासन के काम में पूर्ण पारदर्शिता आ सकती है। भाजपा तो सिर्फ सुशासन की बात ही करती रही। उसने भी अंतत: राजनीति में टिके रहने के लिए कांग्रेस की ही भ्रष्ट संस्कृति की नकल की। पर आप यह काम करके दिखा सकती है क्योंकि इसका शीर्ष नेतृत्व अवसरवादी नहीं है और नैतिक मूल्यों में उसकी निष्ठा है।
यदि आप ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने में सफलता हासिल की तो जनता में उसकी लोकप्रियता बढ़ जाएगी। आम आदमी की सबसे अधिक रुचि स्थानीय मामलों में रहती है। अरविंद केजरीवाल का शुरुआती काम दिल्ली की गरीब बस्तियों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ था। उनकी साथी संतोष कोली, जिनका कुछ माह पहले देहांत हो गया, इसी संघर्ष से निकली एक जुझारू कार्यकर्ता थीं। इसी तरह पेंशन की योजनाओं को दुरुस्त करना और ठीक से क्त्रियान्वयन कराना, शिक्षा एवं स्वास्थ्य की व्यवस्थाओं को पटरी पर लाना उनकी लोकप्रियता बढ़ा सकता है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू है, किंतु गरीब बच्चों को आरक्षण की व्यवस्था के तहत अच्छे विद्यालयों में दाखिला मिलने में काफी दिक्कत आ रही हैं। कायदे से तो आप को समान शिक्षा प्रणाली लागू कर देनी चाहिए, यानी हरेक बच्चे के लिए एक जैसी शिक्षा व्यवस्था। जो बंगले आप के मंत्रियों के न रहने से खाली रहेंगे उनमें विद्यालय या चिकित्सालय खोले जा सकते हैं। यदि हम हरेक बच्चे को विद्यालय भेज वाकई में कानून के अनुसार मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की व्यवस्था लागू करना चाहते हैं तो बहुत सारे विद्यालयों की जरूरत पड़ेगी। मंत्रियों और नौकरशाहों से मिलने के लिए जिन भवनों में उनके कार्यालय स्थित हैं वहां बिना पास के प्रवेश ही नहीं मिलता। इन जगहों पर जाने के लिए पास की अनिवार्यता खत्म कर देनी चाहिए। जब सुरक्षा खत्म की जा सकती है तो यह क्यों नहीं? नौकरशाह इसका कड़ा विरोध करेंगे, लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि वे जनता की सेवा के लिए नियुक्त हैं। जनता से दूरी बनाकर वे भला उसका कल्याण कैसे कर सकते हैं।
आप की सरकार का सबसे रोमांचकारी पक्ष होने वाला है जनता की भागीदारी से सभी निर्णय लेना। जब निर्णय बंद कमरों की जगह खुली बैठकों में होंगे तो उनके गलत होने की संभावना कम हो जाएगी। भ्रष्टाचार पर तो रोक लगेगी ही। जब निर्णय खुले में होंगे तो नेताओं और नौकरशाहों को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। चूंकि जनता आप के नेताओं व मंत्रियों पर पैनी नजर भी रखने वाली है इसलिए उनके लिए कोई गलत काम करना मुश्किल होगा। परंतु यदि कोई गलत करता भी है तो जनता उसे गलत काम करने नहीं देगी अन्यथा वह पार्टी से निकाल दिया जाएगा। दिल्ली में आप का शासन भारतीय राजनीति का अभिनव प्रयोग सिद्ध होने वाला है। इसकी सफलता की संभावनाएं काफी हैं क्योंकि इसे बहुत सोच-समझ कर किया जा रहा है। यह सिर्फ भावनाओं के आधार पर नहीं है। इसकी सफलता की इस देश के आम आदमी को काफी उम्मीदें हैं क्योंकि उसकी पीड़ा का इलाज इस नए प्रयोग में हो सकता है। उसे इसी बात से हर्ष हो रहा है कि उसके वोट के बल पर इस देश की सड़ी-गली राजनीतिक व्यवस्था को बदला जा सकता है, जिसकी उम्मीद करना लोगों ने बंद कर दिया था।
[लेखक संदीप पांडे, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता हैं]